युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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सोमवार, 27 जुलाई 2009

रह गयीं बिछी आँखें और तुम नहीं आये।

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रह गयीं बिछी आँखें और तुम नहीं आये। मुज़महिल हुईं यादें और तुम नहीं आये ॥ चान्द की हथेली पर रख के सर मुहब्बत से, सो गयीं थकी किरनें और तुम न...
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