युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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मंगलवार, 10 फ़रवरी 2009

रात, ख़्वाबों में कोई चाँद था ऐसा निकला.

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रात, ख़्वाबों में कोई चाँद था ऐसा निकला. देखते ही शबे-फ़ुर्क़त का जनाज़ा निकला. साफ़ दो साए गुज़रते नज़र आए मुझको, वह्म था मेरा, वहाँ मैं तने-तनहा...
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