युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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बुधवार, 28 अप्रैल 2010

बन्धनों में रहूँ मैं ये संभव नहीं

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बन्धनों में रहूँ मैं ये संभव नहीं॥ अनवरत साथ दूँ मैं ये संभव नहीं॥ मेरी प्रतिबद्धता का ये आशय कहाँ, झूट को सच कहूँ मैं ये संभव नहीं॥ मैं हूँ...
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