युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

हिन्दी ग़ज़ल / शैलेश ज़ैदी / कहीं अन्तर में लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
हिन्दी ग़ज़ल / शैलेश ज़ैदी / कहीं अन्तर में लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
शनिवार, 22 नवंबर 2008

कहीं अन्तर में कर्वट लेते परिवर्तन को पढ़ती हैं.

›
कहीं अन्तर में कर्वट लेते परिवर्तन को पढ़ती हैं. ये तूफानी हवाएं मौसमों के मन को पढ़ती हैं. ******* हवेली से उतर कर धूप की कुछ टोलियाँ अक्सर...
2 टिप्‍पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
Blogger द्वारा संचालित.