युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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शनिवार, 23 अगस्त 2008

बच्चा / नरेंद्र मोहन

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कई बार उसे आग में जलाया गया दीवार में चिनाया गया पर हर बार वह लौट आया हँसता, दमकता हुआ. कई बार उसपर गोलियाँ दागी गयीं वह नहीं मरा कई बार उसे...

अँधेरी परत / नरेंद्र मोहन

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अंधेरे की परत-दर-परत से लिपटता चला गया एक अंतहीन खोह के अंधे विस्तार में आँखें फाड़े देखता रहा. लिपटते-चिपकते-भिनभिनाते आगे बढ़ते, आवाज़ बुलं...
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