युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

सफ़र में अड़चनें आती रहीं क़दम न रुके / سفر میں اڑ چنیں آتی رہیں قدم نہ رکے

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सफ़र में अड़चनें आती रहीं क़दम न रुके । बग़ैर मंज़िले-जानाँ कहीं भी हम न रुके ॥ मज़ा तो जब है के उस कैफ़ियत से हम गुज़रें, के लिखते जायें ते...
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