युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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बुधवार, 5 मार्च 2008

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खामोश होगी कब ये ज़बाँ कुछ नहीं पता । बदलेगा कब निज़ामे- जहाँ कुछ नहीं पता ॥ कब टूट जाए रिश्तये-जां कुछ नहीं पता। कुछ कारे-खैर कर लो मियाँ कु...
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