युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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गुरुवार, 26 जून 2008

पसंदीदा शायरी / अख्तरुल-ईमान [ 1915-1995 ]

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तीन नज़्में [ 1 ] ओहदे-वफ़ा यही शाख तुम जिसके नीचे किसी के लिए चश्म-नम हो अब से कुछ साल पहले मुझे एक छोटी सी बच्ची मिली थी जिसे मैंने आगोश मे...
मंगलवार, 24 जून 2008

पसंदीदा शायरी / मजाज़ लखनवी [ 1911-1955 ]

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दो नज़्में [ १ ] एतराफ़ अब मेरे पास तुम आई हो तो क्या आई हो ? मैंने माना कि तुम इक पैकरे-रानाई हो चमने-दहर में रूहे-चमन-आराई हो तलअते-मेह्र ह...
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