युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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बुधवार, 12 मार्च 2008

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आज के माहौल में खंजर बुरे लगते नहीं । हाथ लोगों के लहू से तर बुरे लगते नहीं ॥ दर्द में डूबे हुए मंज़र बुरे लगते नहीं । अब किसी को भी बुरे रह...
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