युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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शुक्रवार, 18 जुलाई 2008

कहैं एक एकन सों कहाँ जाई का करी ? [तुलसी] / प्रो. शैलेश ज़ैदी

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कितनी बेचैनी और छटपटाहट है तुलसी की इस पंक्ति में – “कहैं एक एकन सों कहाँ जाई का करी ?” और यह छटपटाहट जीविका विहीन लोगों की है. उन लोगों की ...
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