युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

पसंदीदा नज़्में लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
पसंदीदा नज़्में लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
रविवार, 27 जुलाई 2008

पसंदीदा नज़्में / साहिर लुधियानवी

›
1. तुम चली जाओगी तुम चली जाओगी परछाइयां रह जायेंगी कुछ न कुछ हुस्न की रानाइयां रह जायेंगी तुम इसी झील के साहिल पे मिली हो मुझसे जब भी देखूंग...
1 टिप्पणी:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
Blogger द्वारा संचालित.