युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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गुरुवार, 28 अगस्त 2008

मेरा बचपन / दुर्गा सहाय सुरूर जहानाबदी

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किधर गया आह मेरा बचपन, निजात थी जब गमे-जहाँ से. न दिल था हसरत-कशे-तमन्ना, न थी ज़बां आशना फुगाँ से कहाँ गई वो बहारे-तिफली, किधर गए वो निशात ...
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