युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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शनिवार, 30 अगस्त 2008

तनहाई के बाद / शहज़ाद अहमद

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झांकता है तेरी आंखों से ज़मानों का खला तेरे होंटों पे मुसल्लत है बड़ी देर की प्यास तेरे सीने में रहा शोरे-बहारां का खरोश अब तो साँसों में न ग...
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