युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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गुरुवार, 23 अक्टूबर 2008

काश मैं तेरे हसीं हाथ का कंगन होता / वसी शाह

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काश मैं तेरे हसीं हाथ का कंगन होता, तू बड़े प्यार से, चाओ से बड़े मान के साथ, अपनी नाज़ुक सी कलाई में चढाती मुझको, और बेताबी से ...
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