युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

नज़्म / परवीन शाकिर / बेवफ़ाई लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
नज़्म / परवीन शाकिर / बेवफ़ाई लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
रविवार, 19 अक्टूबर 2008

बेवफ़ाई / परवीन शाकिर

›
हमारे दरमियाँ ऐसा कोई रिश्ता नहीं था. तेरे शानों पे कोई छत नहीं थी, मेरे ज़िम्मे कोई आँगन नहीं था. कोई वादा तेरी ज़ंजीरे-पा बनने नहीं पायी, क...
3 टिप्‍पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
Blogger द्वारा संचालित.