युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

नई कविता / लीलाधर जगूडी / अभी-अभी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
नई कविता / लीलाधर जगूडी / अभी-अभी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
शुक्रवार, 29 अगस्त 2008

अभी-अभी / लीलाधर जगूडी

›
अभी-अभी टहनियों के बीच का आकाश किसने रचा ? हमारे गाँव की दिशा खुली घास की चूड़ी बनती हुई उजली रातों की बात मुझसे करती है मेरी छोटी बहन. दिन फ...
1 टिप्पणी:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
Blogger द्वारा संचालित.