युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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सोमवार, 9 जून 2008

जमीलुद्दीन आली के दोहे

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सदियों के अम्बार में भगवन, दीजो कभी दिखाय एक ही दिन जब कोई किसी को, दुःख ना देने पाय ओ दीवार पुरानी हट जा, तेज़ है जनता धार तेरी बंसी नहीं ब...
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