युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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सोमवार, 9 फ़रवरी 2009

पीता हूँ मय, तो लगता है, विशवास है मुखर.

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पीता हूँ मय, तो लगता है, विशवास है मुखर. चख लीजिये, गर आपका एह्सास है मुखर. रिन्दों की तर्ह, किसने किया है, खुदा को याद, जायें न दूर आप, कि ...
2 टिप्‍पणियां:
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