युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

चिंतन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
चिंतन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सोमवार, 30 जून 2008

दिनकर ने कहा था

›
असली सत्य [ 1969, दिल्ली ] असली सत्य शून्यता है, किंतु इस सत्य को पकड़ने की कोई राह नहीं है. जिस चीज़ को तुम राह कहते हो, वह शून्यता से भिन्...
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
Blogger द्वारा संचालित.