युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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शनिवार, 1 मई 2010

ठेस लगे तो रोते कब हैं

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ठेस लगे तो रोते कब हैं। शब्द किसी के होते कब हैं॥ हम अपना ही हाल न जानें, जागते कब हैं सोते कब हैं॥ आँसू मेरी आँखों में हैं, उसकी आँख भिगोते...
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