युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल [उर्दू / हिन्दी] लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
ग़ज़ल [उर्दू / हिन्दी] लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
गुरुवार, 29 मई 2008

पाकिस्तानी शायरी : ग़ज़ल

›
[ 1 ] आसिफ़ इक़बाल कोई तीर दिल में उतर गया, कोई बात लब पे अटक गई ऐ जूनून तूने बुरा किया, मेरी सोच राह भटक गई बढे रूहों-जिस्म के फ़ासले, यहा...
मंगलवार, 29 अप्रैल 2008

ग़ज़ल / शैलेश जैदी

›
ये दिल की धड़कनें होती हैं क्या, क्यों दिल धड़कता है ? मिला है जब भी वो, बाकायदा क्यों दिल धड़कता है ? बहुत मासूमियत से उसने पूछा एक दिन मुझसे...
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
Blogger द्वारा संचालित.