युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल /तनवीर सप्रा / आज इतना जलाओ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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सोमवार, 24 नवंबर 2008

आज इतना जलाओ कि पिघल जाए मेरा जिस्म / तनवीर सप्रा

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आज इतना जलाओ कि पिघल जाए मेरा जिस्म. शायद इसी सूरत में सुकूँ पाये मेरा जिस्म. ******* आगोश में लेकर मुझे इस ज़ोर से भींचो, शीशे की तरह छान स...
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