युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / उल्झे क्या तुझ से लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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शनिवार, 27 जून 2009

उल्झे क्या तुझ से महज़ थोडी सी तकरार में हम.

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उलझे क्या तुझ से महज़ थोडी सी तकरार में हम. अजनबी बन के फिरे कूचओ-बाज़ार में हम. आहनी तौक़ पिन्हाया गया गर्दन में हमें, और रक्खे गए जिन्दाने-...
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