युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा /उसे शिकवा है लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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मंगलवार, 9 सितंबर 2008

ख़्वाबों में समंदर देखते क्यों हो

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उसे शिकवा है, ख्वाबों में समंदर देखते क्यों हो. वो कहता है, ये आईना तुम अक्सर देखते क्यों हो. कहा मैंने वफ़ाओं का तुम्हारी क्या भरोसा है, कहा...
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