युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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गुरुवार, 19 फ़रवरी 2009

हिजाब, गुंचों को लाज़िम हुआ, गुलों को नहीं.

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हिजाब, गुंचों को लाज़िम हुआ, गुलों को नहीं. नक़ाब-पोशियाँ भाईं कभी बुतों को नहीं. खुशी हुई उसे, दिल की इबारतें पढ़कर, कि उसने चाहा कभी सादे का...
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