युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / ये वो सफ़र है लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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बुधवार, 11 मार्च 2009

ये वो सफ़र है के जाना है कब पता ही नहीं.

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ये वो सफ़र है के जाना है कब पता ही नहीं. मगर न जाये कोई, ये कभी सुना ही नहीं. न रास्ते से हैं वाक़िफ़, न मंज़िलों की खबर, बढायें खुद से क़दम, इ...
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