युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / यही मौसम वहाँ होगा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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सोमवार, 19 जनवरी 2009

यही मौसम वहाँ होगा, यही क़िस्से वहाँ होंगे।

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यही मौसम वहाँ होगा, यही क़िस्से वहाँ होंगे। कहीं बेचैनियाँ होंगी, कहीं आतश-फिशां होंगे। हमारी अम्न की बातें, महज़ झूठी तसल्ली हैं, न गुज़रेंग...
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