युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009

फ़रेब खा के भी हर लहज़ा खुश हुए सब लोग।

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फ़रेब खा के भी हर लहज़ा खुश हुए सब लोग। कि सिर्फ़ अपने ही ख़्वाबों में गुम रहे सब लोग। सेहर से उसने सुखन के, दिलों को जीत लिया, कलाम अपना, वहा...
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