युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2008

परिंदों की ज़बाँ पहले के दानिशवर समझते थे.

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परिंदों की ज़बाँ पहले के दानिशवर समझते थे. परिंदे भी हमारी गुफ्तगू अक्सर समझते थे. ***** वो फ़नकारा थी, बांसों पर तनी रस्सी पे चलती थी, तमाशा...
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