युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / उनको शिकवा है लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / उनको शिकवा है लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सोमवार, 25 अगस्त 2008

उनको शिकवा है / ज़ैदी जाफ़र रज़ा

›
उनको शिकवा है कि हम रंजो-अलम पालते हैं ये इनायात उन्हीं की हैं जो हम पालते हैं ज़ुल्म करने की कोई वज्ह नहीं होती है सौ बहाने हैं जिन्हें अहले...
1 टिप्पणी:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
Blogger द्वारा संचालित.