युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / शैलेश ज़ैदी / संतुष्ट हूँ कि मन में लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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सोमवार, 12 जनवरी 2009

संतुष्ट हूँ कि मन में कलुषता नहीं कोई.

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संतुष्ट हूँ कि मन में कलुषता नहीं कोई. पर्वा नहीं है गर मुझे समझा नहीं कोई. ******* पीड़ा से जन्म लेते हैं रचनात्मक विचार, वो रचनाकार क्या ज...
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