युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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सोमवार, 19 जनवरी 2009

लग जाय कोई दाग़ न दामन समेट लो।

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लग जाय कोई दाग़ न दामन समेट लो। विद्रोह से भरा हुआ चिंतन समेट लो। ******* कुछ होश भी है तुमको कड़कती हैं बिजलियाँ, अच्छा यही है अपना नशेमन सम...
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