युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / शैलेश ज़ैदी / मैं उसके पास से लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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बुधवार, 28 जनवरी 2009

मैं उसके पास से होकर हताश, लौट आया.

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मैं उसके पास से होकर हताश, लौट आया. वो कर रहा था सभी को निराश, लौट आया. किसी ने मुझसे खरीदीं न सूर्य की किरनें, किसी को था न अपेक्षित प्रकाश...
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