युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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बुधवार, 4 फ़रवरी 2009

मिलन की बिजलियाँ हैं कौंधती सुगंधों में.

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मिलन की बिजलियाँ हैं कौंधती सुगंधों में. हवाएं आई हैं उत्तर से, आज, बरसों में. तू अपने कारवां का डाल दे पड़ाव यहाँ, कि साक्षात बसा लूँ मैं तु...
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