युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / शैलेश ज़ैदी / बांसुरी की तान में लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
ग़ज़ल / शैलेश ज़ैदी / बांसुरी की तान में लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
रविवार, 28 जून 2009

बांसुरी की तान में जीवन की व्याख्याएँ मिलीं.

›
बांसुरी की तान में जीवन की व्याख्याएँ मिलीं. आके जमुना तट पे कुछ मीठी निकटताएँ मिलीं. मेरे अंतर में तो बस गोकुल की छवियाँ थीं मुखर, जब जहां ...
1 टिप्पणी:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
Blogger द्वारा संचालित.