युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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शनिवार, 24 जनवरी 2009

पथरा गया हो जैसे हवाओं का सब शरीर.

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पथरा गया हो जैसे हवाओं का सब शरीर. मुरझा रहा है मन की दिशाओं का सब शरीर. ***** कपड़े की तर्ह रख दिया शायद निचोड़ कर, हालात ने हमारी कलाओं का...
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