युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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मंगलवार, 27 जनवरी 2009

नदी कुछ थम गई, सेलाब में थोडी कमी आयी।

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नदी कुछ थम गई, सेलाब में थोडी कमी आयी। उजड़ते गाँव में आशा की फिर से रोशनी आयी। दरो-दीवार सब नैराश्य में डूबे मिले मुझको, तुम्हें क्या छोड़ आ...
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