युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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शुक्रवार, 5 दिसंबर 2008

देख कर वातावरण पहले तो थर्राई ग़ज़ल.

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देख कर वातावरण पहले तो थर्राई ग़ज़ल. प्रेम की सौगात लेकर फिर निकल आई ग़ज़ल. ******* धूप मतला, छाँव मक़ता, शेर सुरभित क्यारियाँ, गा रही थी आज...
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