युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / शैलेश ज़ैदी / दृष्टि के विस्तार की लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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बुधवार, 10 दिसंबर 2008

दृष्टि के विस्तार की मैं ने अपेक्षा की न थी.

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दृष्टि के विस्तार की मैं ने अपेक्षा की न थी. उससे इतने प्यार की मैं ने अपेक्षा की न थी. ******* मेरे मित्रों ने लगा दी आग जब घर को मेरे, फिर...
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