युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / शैलेश ज़ैदी / घर पे ऐसे लोग आकर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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सोमवार, 23 मार्च 2009

घर पे ऐसे लोग आकर सांत्वना देते रहे.

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घर पे ऐसे लोग आकर सांत्वना देते रहे. चोट गहरी जो निरंतर बारहा देते रहे. आत्मा तक जिनके हर व्यवहार से घायल मिली, हम उन्हें भी निष्कपट होकर दु...
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