युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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रविवार, 1 फ़रवरी 2009

खनक हँसी की न गूंजी, न गुनगुनाया कभी।

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खनक हँसी की न गूंजी, न गुनगुनाया कभी। वो चाँद घर के दरीचों में फिर न आया कभी। कई शताब्दियाँ आयीं और बीत गयीं, कृषक न अपना मुक़द्दर संवार पाय...
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