युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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बुधवार, 19 नवंबर 2008

कल्पना के सामने बन जायेगा मिथ्या यथार्थ.

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कल्पना के सामने बन जायेगा मिथ्या यथार्थ. रुक्मिणी कुछ भी नहीं हैं, आज हैं राधा यथार्थ. ******* सब की अपनी-अपनी ढपली, सब के अपने-अपने राग, को...
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