युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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शनिवार, 7 फ़रवरी 2009

आबाई मिल्कियत थी ज़माने से जो ज़मीन.

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आबाई मिल्कियत थी ज़माने से जो ज़मीन. आया वो युग, कि हो गई सरकार के अधीन. पहले थे खुश कि रखते हैं विष हम भी अपने साथ, फैलाव से है साँप के अब,...
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