युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / शैलेश ज़ैदी / जिसने अपयश की लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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रविवार, 27 जून 2010

जिसने अपयश की चिन्ता कभी की

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जिसने अपयश की चिन्ता कभी की। प्यार में उसने सौदागरी की॥ जबसे उसने प्रशंसा मेरी की। कोई सीमा नहीं बेकली की॥ घर मेरा धूएं से भर गया है, गीली ...
5 टिप्‍पणियां:
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