युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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बुधवार, 31 दिसंबर 2008

रात आई है बलाओं से रिहाई देगी / मसऊद अनवर

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रात आई है बलाओं से रिहाई देगी। अब न दीवार न ज़ंजीर दिखायी देगी। वक़्त गुज़रा है, पे मौसम नहीं बदला यारो, ऐसी गर्दिश है ज़मीं ख़ुद भी दुहाई दे...
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