युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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गुरुवार, 20 मई 2010

लोग झुक जाते हैं वैसे तो सभी के आगे

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लोग झुक जाते हैं वैसे तो सभी के आगे। सर झुकाते नहीं ख़ुददार किसी के आगे॥ देख कर आंखों से भी कुछ नहीं कहता कोई, लब सिले रहते हैं क्यों आज बदी...
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