युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / सहूलतें सभी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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शुक्रवार, 7 मई 2010

सहूलतें सभी आसाइशों की यकजा हैं

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सहूलतें सभी आसाइशों की यकजा हैं। हमारे बच्चे घरों में भी रह के तनहा हैं॥ तमाम रिश्ते ही आपस के जैसे टूट गये, तकल्लुफ़ात की बन्दिश में अहले-द...
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