युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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शुक्रवार, 5 मार्च 2010

सदाएं देता है दरिया के पार से मुझ को

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सदाएं देता है दरिया के पार से मुझ को। निकालेगा वही इस इन्तेशार से मुझ को॥ बलन्दियाँ उसे मुझ में फ़लक की आयीं नज़र, उठा के लाया वो गर्दो-ग़ुब...
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