युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / सच तो ये है लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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सोमवार, 5 अप्रैल 2010

सच तो ये है के हुए पल के जवाँ जन्नत में॥

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सच तो ये है के हुए पल के जवाँ जन्नत में॥ अब भी मिल जायेंगे पैरों के निशाँ जन्नत में। अपनी ख़िल्क़त से ही होते हैं फ़रिश्ते मासूम, एक ही तर्ज...
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