युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / सकते में सब थे और लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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शनिवार, 10 अप्रैल 2010

सकते में सब थे और भबकता रहा चेराग़् / سکتے میں سب تھے اور بھبکتا رہا چراغ

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सकते में सब थे और भबकता रहा चेराग़्। तारीकियाँ सी फैल गयीं गुल हुआ चेराग़्॥ उसकी हथेलियों से निकलती थी रोशनी, दस्ते हिना था या था कोई बा-वफ़...
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